इलाज के नाम पर चल रहा था धर्मांतरण का खेल, इलाज के दौरान मानसिक रूप से बीमार युवती की पसली टूटने से मौत, कथित महिला गिरफ्तार - MBNEWS

Home Top Ad

Friday, May 23, 2025

इलाज के नाम पर चल रहा था धर्मांतरण का खेल, इलाज के दौरान मानसिक रूप से बीमार युवती की पसली टूटने से मौत, कथित महिला गिरफ्तार

 

गरियाबंद /कोपरा- राजिम थाना क्षेत्र के ग्राम सुरसाबांधा में एक कथित महिला द्वारा इलाज के आड़ में धर्मांतरण का खेल चला रही थी। इसी इलाज के चक्कर में एक मानसिक रोगी युवती की सीने की पसलियां टूटने से मौत हो गई। जिसके बाद परिजन के रिपोर्ट पर राजिम थाना द्वारा कार्रवाई करते हुए इलाज के आड़ में बीमार लोगों की धर्मांतरण करने वाली महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हैं। राजिम थाना से मिली जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के ग्राम सुरसाबांधा में एक महिला तंत्र मंत्र द्वारा इलाज का दावा कर लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करती थी। कई ग्रामीण इसके चंगुल में फंस भी चुके है। यह मामला प्रकाश में तब आया है। जब इलाज के लिए महासमुंद जिले के पचेड़ा से पहुंचे एक युवती की गुरुवार को मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इन लोगों को लगभग 3 माह से शैतान का डर दिखाकर उस जगह पर इलाज करवाने के लिए बाध्य किया जाता था। युवती की मौत के बाद परिजनों ने राजिम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने इस मामले में इलाज करने वाली महिला ईश्वरी साहू को गिरफ्तार कर बंधक बनाने और धर्मांतरण का मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया। जहां से महिला को जेल भेज दिया गया।
शैतान का डर दिखाकर बनाया बंधक- मृतिका योगिता सोनवानी की मां सुनिता सोनवानी ने बताया कि उसकी बेटी मानसिक रूप से अस्वस्थ थी, जिसकी इलाज वह रायपुर में करवा रही थी। ज्यादा पैसा खर्च होने पर उसे वापस महासमुंद इलाज के लिए ले गई। वहां उसे पता चला कि राजिम क्षेत्र के ग्राम सुरसाबांधा में आयुर्वेद पद्धति से इलाज होता है और वह इस चंगुल में फंस गई। जहां इलाज के नाम पर एक महिला ईश्वरी साहू ने उन्हें बाइबल पढ़ाने, प्रार्थना करवाने और शैतान भगाने का अंधविश्वासी तरीका बताया। मृतका के स्वास्थ्य पर सुधार न होते देख परिजन वापस ले जाने को कहते तो उन्हे शैतान का डर दिखाकर बंधक बनाए रखा। आरोपी मृतका की मां को ईसाई धर्म स्वीकार करने का दबाव भी बनाती रही, तब उन्होंने कहा कि बच्ची के ठीक हो जाने के बाद ईसाई धर्म स्वीकार करेंगी। वही, परिवार वालों का दावा है कि तीन महीनों तक माँ-बेटी को बंधक बना कर रखा गया। न दवा थी, न डॉक्टर बस एकांत में कथित प्रार्थनाएं होती रहीं। इस दौरान महिला द्वारा युवती को अनेक प्रकार से शारीरिक यातनाएं व प्रताड़ित भी करती रही। हालत बिगड़ने पर भी योगिता को अस्पताल नहीं ले जाया गया और अंततः गुरुवार को उसकी मौत हो गई। स्थानीय महिलाओं ने बताया कि गांव में नियमित रूप से 'चंगाई सभा' होती है, जहां बाइबल और प्रभु की प्रार्थना के ज़रिये इलाज का दावा किया जाता है। जब माँ सुनीता ने स्थानीय लोगों की मदद से मामले को उजागर किया और राजिम थाना पहुंचीं।  उन्होंने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसकी पुत्री की मानसिक स्थिति ठीक नही होने के कारण सुरसाबांधा निवासी ईश्वरी साहू के पास पूजापाठ के माध्यम से उपचार करवा रही थी। आरोपी महिला ईश्वरी साहू के द्वारा प्रार्थिया की पुत्री को अपने घर सुरसाबांधा में रख कर उपचार के बहाने डरा धमका कर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करती थी। जो पीड़िता के उपर आर्युवेदिक उपचार के बहाने चमत्कारी तेल और गरम पानी डालकर अपने पैरो से मृतिका के पूरे शरीर को मसलती थी और ईसाई धर्म का प्रार्थना करवाती थी। 

पीएम रिपार्ट में पसली की हड्डी टुटने का जिक्र- उपचार के दौरान पीड़िता की मृत्यु होने से थाने में मर्ग कायम कर शार्ट पीएम रिपार्ट प्राप्त किया गया। पीएम रिपार्ट में पसली की हड्डी टुटने एवं दबाव के कारण मृत्यु होना लेख किया गया है। जिस पर धारा 105 बीएनएस एक्ट जोडी गई। इस तरह प्रार्थिया की रिपोर्ट पर प्रथम दृष्टिया अपराध धारा छ.ग. धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2006 की धारा 4 व औषधी और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम 1954 की धारा 7 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध कर सुरसाबांधा निवासी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां आरोपी महिला को जेल भेज दिया गया।